kali puja 2023 :काली पूजा, जिसे काली देवी की पूजा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा है जो मुख्य रूप से बंगाल राज्य में मनाई जाती है, लेकिन यह देशभर में विभिन्न रूपों में मनाई जा सकती है। यहां एक सामान्य काली पूजा की विधि दी गई है, लेकिन ध्यान दें कि यह विधि स्थानीय सांस्कृतिक और परंपरागत तत्वों पर भी निर्भर कर सकती है:
बता दे की इस वर्ष माँ काली की स्थापना 12 नवंबर , 2023 दिन रविवार को रात्रि में किया जायेगा आइये जानते है माँ काली पूजा जुड़ी कुछ नियम विधि व सामग्री :
- काली मूर्ति या छवि
- पुष्प (फूल)
- दीपक (मोमबत्ती)
- अगरबत्ती
- नैवेद्य (भोजन)
- फल (फल)
- नारियल (कोपरा)
- गंगाजल (या पूजा के लिए शुद्ध जल)
- हल्दी, कुंकुम, अच्छु, रोली, अबीर (रंग)
- काजल, सिंदूर
- पूजा की थाली
पूजा की विधि:
- शुद्धि-करण:पूजा का आरंभ पवित्रता के साथ करें।
हाथ धोकर और विशेषकर दोनों होंठों को शुद्ध करने के लिए गंगाजल से अपने ऊपर विचित्र आकृतियों बनाएं। - मूर्ति स्थापना:काली मूर्ति को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
मूर्ति को सुंदर फूलों से सजाएं। - पूजा का आरंभ:
अबीर, गुलाल, हल्दी, कुंकुम, सिंदूर, और चंदन का तिलक लगाएं।
मूर्ति के सामने अगरबत्ती और दीपक जलाएं। - आरती:
मूर्ति के सामने आरती गाएं और पुष्प छोड़ें। - नैवेद्य:देवी को फल, नारियल, और अन्य नैवेद्य चढ़ाएं।
- प्रार्थना और भक्ति:अपनी मनोकामनाएं मांगें और भक्ति भाव से पूजा करें।
- समापन:पूजा को समाप्त करने के बाद फिर से आरती गाएं और दीपक बुझा दें।
प्रसाद बाँटें और आप अपनी विशेष पूजा का समापन कर सकते हैं।
यह सामान्यत: पूजा की विधि है, लेकिन इसमें स्थानीय रूपों, परंपराओं और आपकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर थोड़ी बदलाव किया जा सकता है।
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