तालमखाना(देशी नाम मोखला पौधा) :पौधा एक छोटी, वार्षिक या बारहमासी जड़ी बूटी है जो दलदली क्षेत्रों, तालाबों और आर्द्रभूमि में उगती है। Asteracantha longifolia के फूल आमतौर पर नीले या बैंगनी रंग के होते हैं, और वे उपजी के अंत में गुच्छों में खिलते हैं। पौधे को मूत्रवर्धक, कामोद्दीपक और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण माना जाता है।
इस पैधे का एक और देशी साथ ही कहा जाये नानी दादी की नुस्के के रूप में भी इस पैधे के पत्ते का उपयोग किया जाता है जो की हमारी शरीर की पुरानी से पुरानी चोट जो की जल्दी सुख नई पाता उसको इससे कुछ ही दिनों में ठीक भी किया जाता है ।
आइये जानते है इस देशी नुस्के का उपयोग – पहले इस पैधे के पत्ते को पैधे से अलग कर लेते है, उसके बाद इसे हल्की धूप में रख देते है, जिससे ये मुर्झा ना पाये फिर इसको हल्की फ्लेम में आग से सिकाई कर लेते है, इस सूखे पत्ते को बारीक़ पिस कर उसे नारियल के तेल में मिला कर कटे या चोट वाले भाग में लगा देते है, इसे कुछ दिन इसी तरह लगने से
आप देखेंगे की यह घाव कितना जल्दी भर जायेगा और आप पूरी तरह ठीक हो जायेंगे ये पैधा ऐसा दीखता है जब भी आप इसे देखेंगे तो पहचान जायेंगे ये आपके आस पास के खेतो खलिहानों में पाए जाते है ।
आइये जानते है इसके गुण, प्रयुक्त भाग व खुराक –
सामान्य नाम – तालमखाना।
वानस्पतिक नाम – हाइड्रोफिला स्पिनोसा टी. पर्याय एस्टरकैन्था लोंगिफोलिया नीस । एकैंथेसी परिवार.
रस (स्वाद) – मधुरा (मीठा)
गुण (गुण) – गुरु (भारी),
वीर्य (शक्ति) – शीत (ठंडा)
विपाक – मधुरा (पाचन के बाद इसका मीठा स्वाद आता है)
कर्म (कर्म) –वातपित्त शमक (विकृत वात और पित्त दोष को कम करता है ।
प्रयुक्त भाग- जड़ें, बीज और यहां तक कि पूरे पौधे का उपयोग औषधीय क्षेत्रों में किया जाता है।
काढ़ा- 5 से 10 मिली
बीज पाउडर-3 से 5 ग्राम
औषधीय क्रिया –
- मूत्रवर्धक, हेपेटोप्रोटेक्टिव, श्वसन उत्तेजक, एंटीस्पास्मोडिक, हाइपोटेंसिव
- इसका संरक्षण बहुत कठिन है क्योंकि यह नमी से बहुत जल्दी प्रभावित होता है और बीज हाइड्रोस्कोपिक होते हैं और बहुत तेजी से संक्रमित होते हैं।
- कोकिलाक्ष को वातरक्त गाउट (गाउटी गठिया) और पित्त पथरी (विशेष रूप से, कोकिलाक्ष क्षार) के उपचार में काफी सराहा जाता है।
- बीजों को सर्वश्रेष्ठ कामोत्तेजक घोषित किया गया है और यह शुक्राणुओं की संख्या में सुधार करते हैं और वीर्य की चिपचिपाहट बढ़ाते हैं।