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पोला पर्व के पहले राजधानी का बाजार गुलजार, मिट्टी और लकड़ी के बैलों की बंपर मांग

पोला त्योहार : छत्तीसगढ़ में बीते कुछ सालों में पोला त्योहार का उत्साह कम होता जा रहा है. जहां लोग मिट्टी के बर्तन से स्टील व मिट्टी के बैल तथा जांता से लेकर लकड़ी के बैल खरीदना अधिक पसंद कर रहे पोला पर्व के पहले राजधानी का बाजार गुलजार, मिट्टी और लकड़ी के बैलों की बंपर मांग

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छत्तीसगढ़ी त्योहार पोला इस वर्ष 2 सितंबर को मनाया जाएगा. पोला से पहले ही राजधानी रायपुर के बाजारों में मिट्टी के बर्तन, जांता व बैल सजाए गए. पोला पर्व पर किसान बैलों की विशेष रूप से पूजा करते हैं. इस अवसर पर बैलों का कई तरह से श्रृंगार किया जाता है. साथ ही कहीं कहीं बैल दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां पोला त्योहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है, वहीं शहरी क्षेत्रों में धीरे-धीरे इसकी रौनक कम होती नजर आ रही है. रायपुर के कुम्हार व फुटकर व्यापारियों का कहना है कि बीते 2-3 साल से खरीदारी कम हो रही है.

पहले गांव हो या शहर हर जगह के बच्चे मिट्टी के खिलौनों से खेला करते थे लेकिन आधुनिकता के इस युग मे धीरे धीरे इनके प्रति रुचि खत्म होती जा रही है ।

 

 

 

 

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