छठी माई की पूजा 2024: बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है। यह पूजा विशेष रूप से छठ पर्व के दौरान होती है, जो एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है। छठी माई को सूर्य देवता की बहन और एक माँ के रूप में पूजा जाता है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य देने वाली मानी जाती हैं।
छठी माई की पूजा की परंपरा:
1. **पूजा विधि:** छठी माई की पूजा में विशेष रूप से सूर्य देवता, उनका वाहन और छठी माई की पूजा होती है। इस दिन भक्त उपवासी रहते हैं और संतान सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए व्रत करते हैं।
2. **पारंपरिक स्थल:** पूजा नदी या तालाब के किनारे होती है, जहाँ श्रद्धालु संतान सुख और सुखमय जीवन की कामना करते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। महिलाएं विशेष रूप से इस पूजा में भाग लेती हैं, और उनके द्वारा की गई पूजा को विशेष आशीर्वाद माना जाता है।
3. **सामग्री:** पूजा में विशेष रूप से ठेकुआ (एक प्रकार का पकवान), फल, मिठाइयाँ, दाल, चावल और अन्य धार्मिक सामग्री का उपयोग होता है।
छठी माई से जुड़ी ऐतिहासिक बातें:
सूर्य देवता और छठी माई का संबंध-: छठी माई को सूर्य देवता की बहन माना जाता है। कहा जाता है कि यह पूजा सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है। सूर्य देवता को जीवनदाता माना जाता है, और उनकी बहन छठी माई को जीवन में समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्रतीक माना जाता है।
संगठन और संस्कृति:छठ पूजा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है, और इसे पहले पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष रूप से पहाड़ी महिलाएं करती थीं। छठी माई की पूजा भी एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को जोड़ता है, जैसे कि प्रकृति, स्वास्थ्य और परिवार की समृद्धि।
छठ पूजा और छठी माई की पूजा का उद्देश्य जीवन में सकारात्मकता लाना और परिवार के स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करना है। इस दौरान कठिन व्रत और पूजा विधि भक्तों की आस्था और समर्पण को दर्शाती है।