बुद्ध पूर्णिमा : इस दिन एकांतवास (एकांत में रहना), ध्यान, और धर्मिक कार्यों में विशेष महत्व होता है। इस दिन लोग बुद्ध के उपदेशों को स्मरण करते हैं और उनके जीवन और धर्म के महत्व को मनाते हैं। इसके अलावा, लोग दान और सेवा करने में विशेष प्रेरणा लेते हैं। विभिन्न देशों और संस्कृतियों में बुद्ध पूर्णिमा को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन उसका मूल उद्देश्य बुद्ध के उपदेशों की अनुसरणा और उनके जीवन को मार्गदर्शन मानना होता है।
बुद्ध पूर्णिमा का इतिहास:
यह त्योहार बुद्ध के जन्म, महापरिनिर्वाण (मृत्यु), और महापरिनिर्वाण के दिन को मनाने के लिए है। इस दिन पर लोग ध्यान, पूजा, और धर्मिक कार्यों में विशेष महत्व देते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन लोग बुद्ध के उपदेशों को स्मरण करते हैं और उनके जीवन को आदर्श मानकर अपने जीवन में उनके मार्गदर्शन को अपनाने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न देशों और संस्कृतियों में बुद्ध पूर्णिमा को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य हमेशा बुद्ध के उपदेशों के पालन में लगा होता है।
भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के दौरान अनेक महत्वपूर्ण उपदेश दिए। उनके उपदेशों में सम्यक्त्व (सही ज्ञान), सम्पन्नता (सही चित्त), और सहिष्णुता (सही आचरण) के मार्ग का पालन करने का महत्व था। उन्होंने मानवता, दया, करुणा, और समाधान के महत्व को भी बताया। उनका उपदेश मुक्ति, शांति, और सुख की खोज में मानव जीवन को एक नई दिशा देता है।